सावन का महीना में शिव जी को प्रिये है, इस महीने में शिव और माँ पार्वती की पूजन करने वालों को मिलती है सुहागन रहने का आशीर्वाद
प्रत्येक सोमवार भगवान शिव की उपासना के लिये उपयुक्त माना जाता है लेकिन सावन के सोमवार की अपनी अलग महत्ता है। सावन माह भगवान शिव की उपासना का माह माना जाता है। जो इस बार 6 जुलाई सोमवार के दिन से शुरू हुआ है। सावन का सोमवार जितना शिव जी को प्रिय है, वैसे ही मंगलवार मां पार्वती को पसंद है। उन्हें प्रसन्न करने के लिए सावन के मंगलवार को भक्त मंगला गौरी व्रत रखते हैं। इस दिन पति-पत्नी के साथ में पूजा करने से दांपत्य जीवन सुखमय रहता है। इसके अलावा, इस दिन चमेली के तेल में सिंदूर मिलाकर हनुमान जी को लगाने से भी लाभ मिलने की मान्यता है।
शिव पूजा सामग्री: भगवान शिवजी की पूजा में गंगाजल का उपयोग जरूर करें। शिवजी की पूजा के समय उनके पूरे परिवार अर्थात् शिवलिंग, माता पार्वती, कार्तिकेयजी, गणेशजी और उनके वाहन नन्दी की संयुक्त रूप से पूजा की जानी चाहिए। शिवजी की पूजा में लगने वाली सामग्री में जल, दूध, दही, चीनी, घी, शहद, पंचामृत, कलावा, वस्त्र, जनेऊ, चन्दन, रोली, चावल, फूल, बिल्वपत्र, दूर्वा, फल, विजिया, आक, धूतूरा, कमल−गट्टा, पान, सुपारी, लौंग, इलायची, पंचमेवा, भांग, धूप, दीप का इस्तेमाल किया जाता है।
सावन सोमवार पूजा विधि:
– सुबह जल्दी उठें और स्नान करके साफ कपड़े धारण करें।
– पूजा स्थान की अच्छी तरह साफ-सफाई करें और वहां गंगाजल का छिड़काव करें।
– संभव हो तो आसपास के मंदिर में जाकर शिवलिंग पर जल व दूध का अभिषेक भी करें।
– भगवान शिव और शिवलिंग को चंदन का तिलक लगाएं। उन्हें सुपारी, पंच अमृत, नारियल, बेल पत्र, धतूरा, फल, फूल आदि अर्पित करें।
– अब दीपक जलाएं और भगवान शिव का ध्यान लगाएं। मंत्र जाप करें।
– सावन सोमवार व्रत की कथा सुनें व शिव चालीसा का पाठ करें और महादेव की आरती उतारें।
ये है महत्व
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार सावन का यह महीना भगवान शिव को काफी पसंद होता है। इस दिन व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। इस महीने में लोग सुखी विवाहित जीवन की कामना के लिए व्रत रखते हैं। इसके साथ ही कुवाँरी कन्यायें अच्छा जीवनसाथी पाने के लिए भी इस महीने व्रत रखती हैं।
पूजन में इनका होता है इस्तेमाल
जल, दूध, दही, चीनी, घी, शहद, पंचामृत, कलावा, वस्त्र, जनेऊ, चन्दन, रोली, चावल, फूल, बिल्वपत्र, दूर्वा, फल, विजिया, आक, धूतूरा, कमल−गट्टा, पान, सुपारी, लौंग, इलायची, पंचमेवा, भांग, धूप, दीप का इस्तेमाल किया जाता है।
भगवान शिव के मंत्र...
ॐ नमः शिवाय॥
ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्
उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥
ॐ तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय धीमहि
तन्नो रुद्रः प्रचोदयात्॥
शिव को ऐसे करें प्रसन्न-
भगवान शिव का अभिषेक जल या गंगाजल से होता है, परंतु विशेष मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए दूध, दही, घी, शहद, चने की दाल, सरसों तेल, काले तिल, आदि कई सामग्रियों से अभिषेक की विधि प्रचलित है।
शिव की उत्पत्ति कैसे हुई-
शिव जी को स्वयंभू माना गया है, यानी कि उनका जन्म नहीं हुआ और वो अनादिकाल से सृष्टि में हैं। लेकिन उनकी उत्पत्ति को लेकर अलग-अलग कथाएं सुनने को मिलती है। जैसे पुराणों के अनुसार शिव जी भगवान विष्णु के तेज से उत्पन्न हुए हैं जिस वजह से महादेव हमेशा योगमुद्रा में रहते हैं। वहीं, श्रीमद् भागवत के अनुसार एक बार जब भगवान विष्णु और ब्रह्मा अहंकार के वश में आकर अपने आप को श्रेष्ठ बताते हुए लड़ रहे थे तब एक जलते हुए खंभे से भगवान शिव प्रकट हुए। विष्णु पुराण में शिव के वर्णन में लिखा है कि एक बच्चे की जरूरत होने के कारण ब्रह्माजी ने तपस्या की जिसकी वजह से अचानक उनकी गोद में रोते हुए बालक शिव प्रकट हुए।
सावन सोमवार पूजा विधि-
सावन सोमवार व्रत रखने वाले लोगों को इस दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर दैनिक क्रियाओं को पूरा कर स्नान करना चाहिए। साफ वस्त्र पहनकर पूजा घर या मंदिर जाएं। वहां भगवान शिव की मूर्ति या शिवलिंग को स्वच्छ जल से धोकर साफ कर लें। फिर तांबे के लोटे या अन्य किसी पात्र में जल भरें और उसमें गंगा जल मिला लें। इसके बाद उस जल से भगवान शिव का जलाभिषेक करें। उन्हें सफेद फूल, अक्षत्, भांग, धतूरा, सफेद चंदन, धूप आदि अर्पित करें। प्रसाद में फल और मिठाई का उपयोग करें। ध्यान रखें कि भगवान शिव को तुलसी का पत्ता, हल्दी और केतकी का फूल कभी अर्पित न करें। माना जाता है कि इससे भगवान शिव अप्रसन्न हो जाते हैं जिससे व्रत का पूर्ण फल प्राप्त नहीं हो पाता है। पूजा के दौरान भगवान शिव के ओम नम: शिवाय मंत्र का जाप करें। शिव चालीसा का पाठ करें। भगवान शिव की आरती करें। आरती के बाद प्रसाद ग्रहण कर पारण कर सकते हैं। दिन में फल का सेवन कर सकते हैं।
प्रत्येक सोमवार भगवान शिव की उपासना के लिये उपयुक्त माना जाता है लेकिन सावन के सोमवार की अपनी अलग महत्ता है। सावन माह भगवान शिव की उपासना का माह माना जाता है। जो इस बार 6 जुलाई सोमवार के दिन से शुरू हुआ है। सावन का सोमवार जितना शिव जी को प्रिय है, वैसे ही मंगलवार मां पार्वती को पसंद है। उन्हें प्रसन्न करने के लिए सावन के मंगलवार को भक्त मंगला गौरी व्रत रखते हैं। इस दिन पति-पत्नी के साथ में पूजा करने से दांपत्य जीवन सुखमय रहता है। इसके अलावा, इस दिन चमेली के तेल में सिंदूर मिलाकर हनुमान जी को लगाने से भी लाभ मिलने की मान्यता है।
शिव पूजा सामग्री: भगवान शिवजी की पूजा में गंगाजल का उपयोग जरूर करें। शिवजी की पूजा के समय उनके पूरे परिवार अर्थात् शिवलिंग, माता पार्वती, कार्तिकेयजी, गणेशजी और उनके वाहन नन्दी की संयुक्त रूप से पूजा की जानी चाहिए। शिवजी की पूजा में लगने वाली सामग्री में जल, दूध, दही, चीनी, घी, शहद, पंचामृत, कलावा, वस्त्र, जनेऊ, चन्दन, रोली, चावल, फूल, बिल्वपत्र, दूर्वा, फल, विजिया, आक, धूतूरा, कमल−गट्टा, पान, सुपारी, लौंग, इलायची, पंचमेवा, भांग, धूप, दीप का इस्तेमाल किया जाता है।
सावन सोमवार पूजा विधि:
– सुबह जल्दी उठें और स्नान करके साफ कपड़े धारण करें।
– पूजा स्थान की अच्छी तरह साफ-सफाई करें और वहां गंगाजल का छिड़काव करें।
– संभव हो तो आसपास के मंदिर में जाकर शिवलिंग पर जल व दूध का अभिषेक भी करें।
– भगवान शिव और शिवलिंग को चंदन का तिलक लगाएं। उन्हें सुपारी, पंच अमृत, नारियल, बेल पत्र, धतूरा, फल, फूल आदि अर्पित करें।
– अब दीपक जलाएं और भगवान शिव का ध्यान लगाएं। मंत्र जाप करें।
– सावन सोमवार व्रत की कथा सुनें व शिव चालीसा का पाठ करें और महादेव की आरती उतारें।
ये है महत्व
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार सावन का यह महीना भगवान शिव को काफी पसंद होता है। इस दिन व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। इस महीने में लोग सुखी विवाहित जीवन की कामना के लिए व्रत रखते हैं। इसके साथ ही कुवाँरी कन्यायें अच्छा जीवनसाथी पाने के लिए भी इस महीने व्रत रखती हैं।
पूजन में इनका होता है इस्तेमाल
जल, दूध, दही, चीनी, घी, शहद, पंचामृत, कलावा, वस्त्र, जनेऊ, चन्दन, रोली, चावल, फूल, बिल्वपत्र, दूर्वा, फल, विजिया, आक, धूतूरा, कमल−गट्टा, पान, सुपारी, लौंग, इलायची, पंचमेवा, भांग, धूप, दीप का इस्तेमाल किया जाता है।
भगवान शिव के मंत्र...
ॐ नमः शिवाय॥
ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्
उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥
ॐ तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय धीमहि
तन्नो रुद्रः प्रचोदयात्॥
शिव को ऐसे करें प्रसन्न-
भगवान शिव का अभिषेक जल या गंगाजल से होता है, परंतु विशेष मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए दूध, दही, घी, शहद, चने की दाल, सरसों तेल, काले तिल, आदि कई सामग्रियों से अभिषेक की विधि प्रचलित है।
शिव की उत्पत्ति कैसे हुई-
शिव जी को स्वयंभू माना गया है, यानी कि उनका जन्म नहीं हुआ और वो अनादिकाल से सृष्टि में हैं। लेकिन उनकी उत्पत्ति को लेकर अलग-अलग कथाएं सुनने को मिलती है। जैसे पुराणों के अनुसार शिव जी भगवान विष्णु के तेज से उत्पन्न हुए हैं जिस वजह से महादेव हमेशा योगमुद्रा में रहते हैं। वहीं, श्रीमद् भागवत के अनुसार एक बार जब भगवान विष्णु और ब्रह्मा अहंकार के वश में आकर अपने आप को श्रेष्ठ बताते हुए लड़ रहे थे तब एक जलते हुए खंभे से भगवान शिव प्रकट हुए। विष्णु पुराण में शिव के वर्णन में लिखा है कि एक बच्चे की जरूरत होने के कारण ब्रह्माजी ने तपस्या की जिसकी वजह से अचानक उनकी गोद में रोते हुए बालक शिव प्रकट हुए।
सावन सोमवार पूजा विधि-
सावन सोमवार व्रत रखने वाले लोगों को इस दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर दैनिक क्रियाओं को पूरा कर स्नान करना चाहिए। साफ वस्त्र पहनकर पूजा घर या मंदिर जाएं। वहां भगवान शिव की मूर्ति या शिवलिंग को स्वच्छ जल से धोकर साफ कर लें। फिर तांबे के लोटे या अन्य किसी पात्र में जल भरें और उसमें गंगा जल मिला लें। इसके बाद उस जल से भगवान शिव का जलाभिषेक करें। उन्हें सफेद फूल, अक्षत्, भांग, धतूरा, सफेद चंदन, धूप आदि अर्पित करें। प्रसाद में फल और मिठाई का उपयोग करें। ध्यान रखें कि भगवान शिव को तुलसी का पत्ता, हल्दी और केतकी का फूल कभी अर्पित न करें। माना जाता है कि इससे भगवान शिव अप्रसन्न हो जाते हैं जिससे व्रत का पूर्ण फल प्राप्त नहीं हो पाता है। पूजा के दौरान भगवान शिव के ओम नम: शिवाय मंत्र का जाप करें। शिव चालीसा का पाठ करें। भगवान शिव की आरती करें। आरती के बाद प्रसाद ग्रहण कर पारण कर सकते हैं। दिन में फल का सेवन कर सकते हैं।
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