सावन में शिव जी की पूजा कैसे करें की महादेव प्रसन्न हो।Worship of lord shiva in sawan.
भगवन भोले नाथ बड़े भोले होते हैं वे सभी पर कृपा बरसाते हैं बस अपने मन में उन्हें एक बार याद करने की जरुरत होती है। इन्हे बहुत ज्यादा चढ़ावे की जरुरत नहीं होती है, बस श्रद्धा से इन्हे याद करनी आनी चाहिए। भगवान शंकर की पूजा करने से कई जन्मों का फल प्राप्त होता है। यदि विधिविधान से पूजन किया जाये तो निश्चित ही मनोवांछित फल प्राप्त होता है। माना जाता है कि भगवान शंकर को बेल का पता (बिल्व पत्र) बहुत ही ज्यादा प्रिय है, बिल्ब पत्र अर्पण करने पर शिवजी अत्यंत प्रसन्न होते है और भगवान शिव से जो भी हम सभी मांगते है वो हमें वर देते हैं।
लेकिन प्राचीन शिव पुराण के अनुसार भगवान शिव पर अर्पित करने हेतु बिल्ब पत्र तोड़ने से पहले एक विशेष मंत्र का उच्चारण कर बिल्ब वृक्ष को श्रद्धा पूर्वक प्रणाम करना चाहिए ,उसके बाद ही बिल्ब पत्र तोडना
चाहिए। ऐसा करने से शिवजी बिल्ब को सहर्ष स्वीकार करते है।
ऐसे समय में बिल्ब पत्र नहीं तोडना चाहिए।
हर चीज का एक समय होता है ,ठीक उसी प्रकार बिल्ब पत्र तोड़ने का कुछ विधान बना है जैसे -चतुर्थी ,अष्टमी ,नवमी,चतुर्दशी और अमावस्या तिथियों को ,संक्रांति को बिलपत्र कभी नहीं तोडना चाहिए।
इसके अलावा बिल्ब पत्र ,धतूरा और पते जैसे उगते है , वैसे हि उसे भगवान शंकर पर चढ़ाना चाहिए। ये पते खिलते समय ऊपर के ओर मुख होता है इस लिए इन्हे ऊपर के ओर ही होना चाहिए।
शिव जी को चढ़ावे तुलसी के पते और दूर्वा
दूर्वा और तुलसी के पते को अपने ओर तथा बिल्ब के पते को निचे की ओर करके शिवलिंग पर चढ़ावे।
दाये हाथ की हथेली के सीधा करके के मध्यमा ,अनामिका और अंगूठे की सहायता से फूल और पतों को शिवपलिंग पर चढ़ावे ,चढ़े हुऐ फूल और पते को अंगूठे और तर्जनी के मदद से उतार कर निचे रखे।
सावन में ऐसे करे भगवान शिव की पूजा
भगवान महादेव की पूजा आराधना बहुत ही पवित्र ढंग से करनी चाहिए, खाश कर सावन के महीने में इस
बात को को ध्यान में रखे तन और मन से खुद को पवित्र कर ले। उसके बाद महादेव को पंचामृत स्नान करावे
फिर गंगा जल या सुध जल में कुस ,दूध ,हल्दी ,और अदरक का रस शिवलिंग पर चढ़ावे। ऐसा करने से भगवान
शिव प्रसन्न होते है, जिस से व्यक्ति के मन को अत्यधिक शांति मिलती है और दुःख, रोगो का नाश होता है।
हर सावन में पृथ्वी पर आते है महादेव
हिन्दू ग्रंथो के अनुसार सावन का महीना बहुत ही शुभ माना जाता है , यह महीना शिवजी के नाम होता हैं हर सावन के महीने में शिवजी पृथ्वी पर विराजते है। इस महीने में शिव जी भगवती के साथ आते हैं। सावन में इन दोनों की पूजा साथ में होती है। इसी लिए कहा जाता है की जो कुवारी कन्या सावन के हर सोमवार को व्रत रखती हैं उन्हें सादी होने में कोई दिक्कत नहीं होती साथ ही बहुत अच्छा वर मिलता है। महादेव के खुश हो जाने से जीवन की सारी कठिनाइयां दूर हो जाती है।
भोलेनाथ लगाते है भस्म
ग्रंथों के अनुसार कहा जाता है की भोले नाथ को भस्म जरूर चाहिए इससे भोले बाबा खुश होते हैं। ऐसा इसलिए की भोले नाथ शमशान में रहने वाले है तो वे हमेसा भस्म लगाए रहते हैं ,उन्हें वो भस्म पसंद है तो ऐसे में भोले नाथ को भस्म लगाने से अपने भक्तो पर प्रसन होते हैं।
शिव जी के कई नाम
शिव जी कई नमो से जाने जाते है, जैसे - भोले नाथ ,भोले भंडारी, महादेव , शंकर, नीलकंठ ,बम बम भोले, त्रिनेत्र, महाकाल, शिवाय , शिव, हालाँकि इस ब्रह्माण्ड की उत्पति ॐ की उच्चारण के साथ ही हुई थी ,और वर्णो की उत्पति भगवन शिव की डमरू से हुई है। इसलिए शिव का एक नाम नहीं है बल्कि इस ब्रह्माण्ड के सभी नाम उन्ही का नाम है।
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