नमस्कार दोस्तों आज मैं बात करने वाला हूं। सिरिषा बांदला के बारे में
जो कि भारत के आंध्र प्रदेश के रहने वाले हैं। आंध्र प्रदेश के गुंटूर में एक तेलुगू भाषी हिंदू परिवार में सन 1988 में इनका जन्म हुआ था।
सिरिषा बांदला जब 5 वर्ष की थी तब वे अपने दादा-दादी साथ रहते थे। इसके बाद माता-पिता के साथ ह्यूस्टन सिटी जाकर बस गए।
पड्र्यू यूनिवर्सिटी से एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग में ग्रेजुएशन कंप्लीट किया। उसके बाद जॉर्ज टाउन विश्वविद्यालय से एमबीए की डिग्री प्राप्त किए।
सिरिषा बांदला को आज भारत से लेकर अमेरिका तक लोग जानते हैं। स्पेस से जुड़ने के बाद इनकी एक अलग पहचान बन चुकी है। सिरिषा बांदला आज नासा से जुड़े हुए हैं।
सिरिषा बांदला बचपन से ही चांद तारों की दुनिया में सैर करने को सोचा करती थी। और आज ये उन्होंने अपने सपने को साकार कर दिखाई।
हालांकि अमेरिका की अंतरिक्ष एजेंसी जिसे नासा के नाम से जाना जाता है। नासा से जुड़ने का उनका सपना चिकित्सकीय आधार पर टूट गया था। यानी की शारीरिक स्थिति उस लेवल का नहीं रहा था, जैसा कि होना चाहिए।
इसके बावजूद भी उन्होंने अपना हिम्मत नहीं हारी और खगोल विज्ञान की बेहतरीन समझ के बलबूते कम उम्र में प्राइवेट अंतरिक्ष कंपनियों में ऊंचा पद भी हासिल किया। इसी साल 11 जुलाई 2021 को स्पेस यात्रा की ख्वाहिश भी पूरी कर ली।
स्पेस की सैर करने वाली भारत की तीसरी महिला।
सिरिषा बांदला स्पेस में सैर करने वाली भारत की तीसरी महिला कहलाई। अपना नाम इतिहास के पन्नों में दर्ज करा चुके सिरसा 11 जुलाई की रात कल्पना चावला और सुनीता विलियम्स के बाद अंतरिक्ष की सैर करने वाली तीसरी भारतवंशी महिला कहलाए। वहीं सुनीता के खाते में तो स्पेस में 7 बार आने जाने का उपलब्धि भी दर्ज है वहीं भारतीय वायु सेना से जुड़े रह चुके राकेश शर्मा भी अंतरिक्ष में उड़ान भरने वाले एकमात्र भारतीय नागरिक हैं।
सिरसा को अंतरिक्ष यात्री का दर्जा नहीं मिला।
अंतरिक्ष यात्रा के दौरान सिरसा ने धरती से 89.9 किलोमीटर की ऊंचाई पर उड़ान भरी थी।
हालांकि वह यूनिटी-22 के चालक दल का हिस्सा नहीं थी क्योंकि वह स्वप्रक्षेपण प्रणाली से संचालित यान था। मतलब
Automatic control होने वाला यान से सैर पर गए थे। इस कारण संघीय उड्डयन प्राधिकरण ने उन्हें अंतरिक्ष यात्री के बजाय अंतरिक्ष पर्यटक किस श्रेणी में शुमार किया है।
जब सिरसा का सपना टूटा था।
सिरसा बचपन से ही नासा के अंतरिक्ष यात्री बनना चाहती थी पर उनकी कमजोर रोशनी के चलते उनका यह सपना अधूरा रह गया।
कमर्शियल स्पेस फ्लाइट फेडरेशन में बतौर एयरोस्पेस इंजीनियर का काम किया था 2015 में वर्जिन गैलेक्टिक से जुड़ीं। इसी से जुड़ने के बाद। 11 जुलाई 2021 को वह स्पेस कि सैर की ख्वाहिश पूरी की साथ ही अंतरिक्ष की सैर करने वाले यात्रियों में शुमार हो गए।
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