आजादी से पहले चली Ac ट्रेनों को कैसे ठंडा किया जाता था जानिए किन लोगों को ट्रेन में बैठने का अनुमति था.
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इस आर्टिकल में आपको यह जानने के लिए मिलेगा की पहले का जो ट्रेन था उस Ac ट्रेन को ठंडा कैसे किया जाता था, इसके बारे में हम लोग जानेंगे।
भारतीय रेलवे को भारत का लाइफ लाइन कहा जाता है क्योंकि यह सभी शहरों को जोड़ता है।
भारतीय रेलवे से हर रोज हजारों, लाखों लोग यात्रा करते हैं।भारतीय रेलवे इन्हीं सब कारणों के कारण एशिया का दूसरा सबसे बड़ा रेलवे नेटवर्क कहा जाता है।
भारतीय रेलवे में हर दिन कई देशों की जनसंख्या से ज्यादा लोग यहां के ट्रेनों में बैठकर यात्रा कर लेते हैं।
Ac ट्रेन को ठंडा ऐसे किया जाता था।
इसी ट्रेन का नाम पहले पंजाब एक्सप्रेस था। बाद में इसे 1934 में बदलकर इसी ट्रेन को Ac कोच में बदल दिया गया था। यानी Ac कोंच से जोड़ दिया गया था।
उसी समय इसका नाम बदलकर फ्रंटियर मेल रख दिया गया था।
इसी मे एक खास तरह का पंखा लगा दिया जाता था जिससे ठंडी हवा मिलते रहती थी। इसी बर्फ को समय-समय पर बदला जाता रहता था।
बर्फ के पिघलने पर पिघले हुए बर्फ को हर स्टेशन पर इसे बाहर निकाल दिया जाता था और नए बर्फ की सिल्ली को रख दिया जाता था जिससे कि ठंडी हवा ट्रेन में मिलती रहे।
यह ट्रेन कहा से कहा तक चलती थी।
यह ट्रेन मुंबई से अफगानिस्तान तक चलती थी जब भारत स्वतंत्र नहीं हुआ था तब , जिसमें स्वतंत्रता सेनानियों के अलावा अंग्रेजी अधिकारी बैठकर यात्रा करते थे।
भारत की आजादी 1947 के बाद इसे मुंबई से अमृतसर तक ही चलाया जाने लगा। साल 1996 में फिर इस ट्रेन का नाम बदल कर इसे गोल्डन टेंपल मेल रख दिया गया।
ट्रेन की खास बात।
इस ट्रेन का खासियत यह था कि आज के जो फाइव स्टार रेटेड ट्रेन है उसी के जैसा वह भी ट्रेन वैल्युएबल था। इसमें लगभग 450 लोग बैठ सकते थे। साथ ही यह ट्रेन कभी भी लेट नहीं चलती थी। हमेशा अपने सही समय पर चलती थी। एक बार लेट हुई थी जिसके लिए इसके ड्राइवर से जवाब भी मांगा गया था।
इन्हीं सब कारणों से इस ट्रेन को उस समय का सबसे बेहतरीन ट्रेन माना जाता था।
इस ट्रेन में 450 लोगों को बैठने की जगह बनाई गई थी। कहा जाता है कि इस ट्रेन में स्वतंत्रता सेनानियों जैसे महात्मा गांधी सुभाष चंद्र बोस इत्यादि लोग भी यात्रा करते थे। और अंग्रेजी अधिकारीयों को इजाजत दी जाती थी।
यह थी भारत की पहली रेल
यह कहना ग़लत नहीं होगा कि अंग्रेज़ अपने फायदे के लिए ही भारत में रेलवे नेटवर्क फैलाया था। क्योंकि अंग्रेजों ने भारत में रेल नेटवर्क लोगों की जरूरत के लिए नहीं बल्कि यहां से कचे मॉल को लेजाना और वहा से प्रोडक्ट रेडी करके भारतीय बाजारों में बेचना और फायदा कमाना था।इसी लिए उन्होंने यह रेल का जाल फैलाया था।
Bhart में रेलवे के बनाने का काम 1932 में मद्रास से शुरु किया गया था। रेल परिवहन के नाम पर भारत में सबसे पहले मालगाड़ी चली थी जिसका नाम रेड हिल रेलवे रखा गया था। यह मद्रास में रेड हिल से चिंताद्रीपेट ब्रिज तक में चली थी, जो कि 1837 में चलाया गया था।
वर्तमान भारतीय रेलवे की खास तथ्य जानिए।
भारतीय रेलवे दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी रेलवे नेटवर्क है।
सन् 2020 के अनुसर रेलवे में करीब 13 लाख कर्मचारी काम करते हैं। यानी सबसे ज्यादा नौकरी वाली department.
पूरे देश में पटरियों की कुल लंबाई लगभग 1.21 लाख किलोमीटर है, जिस पर हर रोज करीब 13 हजार पैसेंजर ट्रेन दौड़ती हैं। जो कई देशों को जनसंख्या से भी ज्यादा लोगो को यात्रा कराती है।
देशभर में अधिकतर ट्रेन रूट पर विद्युतीकरण का काम पूरा हो चुका है।
पूरे देश में 7,349 रेलवे स्टेशन हैं।
भारत का वेंकटनरसिम्हाराजुवारिपटा सबसे बड़े नाम वाला रेलवे स्टेशन है
जो आंध्र प्रदेश में तमिलनाडु के बॉर्डर पर स्थित है। वहीं सबसे छोटे नाम वाला रेलवे स्टेशन 'ईब' (IB) है, यह ओडिशा में पड़ता है।
दुनिया का सबसे लंबा प्लेटफॉर्म 1366.33 मीटर है जो कि उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में है।
उत्तर प्रदेश में लखनऊ का चारबाग स्टेशन देश के सबसे busy रेलवे स्टेशनों में से एक माना जाता है।
भारतीय रेल का मैस्कॉट 'भोलू' नाम का हाथी को रखा गया है।
भारतीय रेलवे ने computer reservetion service की शुरुआत 1986 को दिल्ली में किया गया था।
दिल्ली के मेन स्टेशन के नाम दुनिया के सबसे बड़े रूट रिले इंटरलॉकिंग सिस्टम का रेकॉर्ड है। यह उपलब्धि 'गिनेस बुक ऑफ वर्ल्ड रेकॉर्ड्स' में भी दर्ज किया गया है।
और हां अपना विचार कॉमेंट मे डाले दे, दोस्तो को शेयर करें।फिर आपको भी भारत की पहली Ac ट्रेन में चढ़ने का मौका अवश्य दिया जा सकता है। 😉just kidding guys.
Thank you.
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