यूरोपियन देश यूक्रेन और रसिया के बीच युद्ध से भारतीयों के लिए एक लेख
नमस्कार दोस्तो, g india Hindi Blog में आपका स्वागत है।इस आर्टिकल में आपको थोड़ा अलग पढ़ने को मिलेगा, क्युकी जिस प्रकार आज यूक्रेन और रूस के बीच युद्ध हो रहा है उससे हमे बहुत कुछ सीखने की जरूरत है। खास कर भारत के उन लोगो को और नेताओं को जो देश के सुरक्षा पर खर्च होने पर विरोधी बाते निकालने लगते हैं और सब फ्री में बाटने की बात करते है। आज यूक्रेन में क्या नही था। कितना शानदार शहरे बर्बाद हो रहे है। यूक्रेन में बड़ी बड़ी शानदार बिल्डिंगें है, चमचमाती हुई सड़कें और लंबी लक्जरी कार गाडियां हैं,
सड़कों पर साइकिल तो क्या दोपहिया वाहन भी दिखाई नहीं देते क्योंकि सबके पास महंगी लक्जरी गाडियां जो है अच्छे मेडिकल कॉलेज भी है। साथ ही युनिवर्सिटी है तभी तो मेडिकल शिक्षा के लिए भारत के हजारों छात्र यूक्रेन में पढ़ाई कर रहें हैं
यानि यूक्रेन में चारों तरफ संपन्नता है अगर नहीं है तो सामरिक शक्ति ,मजबूत सेना , अत्याधुनिक हथियार और वहां की जनता में राष्ट्रवादी भावना यही कारण है कि मात्र दो घंटे में रुस ने यूक्रेन को घुटनों पर लाकर खड़ा कर दिया यूक्रेन के
सैनिक भाग खड़े हुए हैं। यूक्रेन के राष्ट्रपति आम लोगों से युद्ध लड़ने की अपील कर रहें हैं।
इसके लिए सारी पाबंदियां भी हटा दी गई है। यूक्रेन आम नागरिकों को युद्ध लड़ने के लिए हथियार देने की बात भी कह रहा है पर मजाल है यूक्रेन का एक भी नागरिक युद्ध लड़ने को तैयार हुआ हो , क्योंकि यूक्रेन के नागरिकों में इजराइल के नागरिकों की तरह राष्ट्रवाद की भावना है ही नहीं।
वह तो एशो आराम की जिन्दगी जीने के आदी हो चुके हैं। यूक्रेन के स्कूल कालेज, युनिवर्सिटी, बाजार, दुकान,आफिस सब बन्द कर दिये गये हैं। सब कारोबार चौपट हो गया है। कारखाने फैक्ट्री सब बन्द हो गये।
सब कारोबार चौपट हो गया है कारखाने फैक्ट्री बंद हो गई लोग रोजगार तो क्या अपनी जान बचाने के लिए सिमित संख्या में मौजूद बंकरों में छुप रहें हैं, अंडरग्राउंड मेट्रो स्टेशनों में शरण ले रहें हैं। यानि सब कुछ होते हुए भी यूक्रेन आज जिंदगी की भीख मांग रहा है।
ये आर्टिकल भारत के उन लोगों को समर्पित है जो राष्ट्रवाद और राष्ट्रवादियों को गाहे बगाहे गालियां देते रहते हैं तथा सिर्फ महंगाई, बेरोजगारी और आलू प्याज टमाटर तथा मुफ्त की योजनाओं को ही देश के विकास का पैमाना मान बैठे हैं। यह लेख नेताओं के उस मूर्खतापूर्ण बयान को भी आइना दिखाता है जिसमें अभी कुछ ही दिनों पहले कहा था कि सेना की मजबूती अत्याधुनिक हथियारों के जखीरे इकट्ठा करने से देश का विकास नहीं होता।
देश की सामरिक शक्ति को महत्व न देने वाले नेता और लोग जैसे मंदबुद्धि को रुस यूक्रेन युद्ध से शाय़द थोड़ी अक्ल सीखने को मिल जाय, हम ईश्वर से यही प्रार्थना करते हैं और उन मुफ्तखोरों को भी समझ आ जायेगी, क्योंकि किसी भी देश के विकास का रास्ता उसकी सैनिक ताकत, सीमाओं की मजबूत सुरक्षा और अत्याधिक हथियारों से होकर निकलता है।
जय हिन्द जय भारत ।
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