गाड़ी के टायर काले रंग के क्यों होते हैं? जानिए इसका खास कारण/ रोचक तथ्य
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आज के इस आर्टिकल में हम लोग जानेंगे की गाड़ियों के टायर होता है, वह काले रंग का ही क्यों होता है यानी कि दूसरे रंग का क्यों नहीं होता है?
अब तक आप जो भी गाड़ी देखे होंगे, उसके हर गाड़ी का टायर ब्लैक की होता है। इसका क्या रीजन है इसके बारे में हम लोग जानेगे।
गाड़ी के टायर का इतिहास पुराना है।
गाड़ी के टायर का इतिहास तब से शुरू होता है जब से रब्बर का खोज हुआ था यानी कि जब रबड़ का खोज हुआ था उस समय से टायर बनने शुरू हुए थे। आगे चलकर इसमें और नए-नए विकास हुए और नए-नए खोज हुए।
और इसमें नए-नए टेक्नोलॉजी से जोड़कर और साथ ही इसको रसायनों से मिलाकर तरह-तरह के टायर बनाए जाने लगे।
हालांकि तब के टायर और आज के टायर में काफी फर्क है। तब के जो टायर बनाए जाते थे, वह काफी नाजुक होता था। यानी कि मजबूत नहीं होता था पर आज के जो टायर होते हैं, वह काफी मजबूत होते हैं। उस समय के टायर काफी सॉफ्ट होता था।
जो कि काफी कम समय में ही खराब हो जाता था बाद में इसके टेक्नोलॉजी का विकास हुआ, इसमें कैमिकल मिलाए गए
एक रिसर्च के बाद पता चला कि इस कार्बन में अगर सल्फर को मिला दिया जाता है तो काफी मजबूत और लॉन्ग लास्टिंग हो जाएगा।
हालांकि शुद्ध रबड़ का कलर्स होता वो हल्के पीले रंग का होता है लेकिन इसमें कार्बन मिलाए जाने के कारण इसका कलर जो है सो काला हो जाता है। बाकी सल्फर भी मिलाया गया जो की मजबूती के लिए वह काफी हद तक मजबूती मिला इस टायर को
एक रिपोर्ट की अगर मानें तो एक जो नॉर्मल टायर है, उससे टायर बनाया जाए तो वह 8 किलोमीटर तक चलेगा। अगर इसे सल्फर से मिलाकर जो बनाते हैं वह 100000 किलोमीटर तक चलाया जा सकता है।
अगर टायर को दूसरे रंगों में बनाया जाए तो क्या होगा?
अब अक्सर देखे होंगे कि स्कूल छात्रों का जो साइकिल होता है उनके टायर अलग-अलग रंगों में मिल जाते हैं। यानी कि सुंदर दिखाने के लिए लोग अलग-अलग रंगों से रंग देते हैं। टायरों को ताकि यह साइकिल थोड़ा सा इंटरेस्टिंग बन जाए बच्चों के लिए इसी के कारण इसे कलर्स कर दिया जाता है और बच्चों को दे दिया जाता है हालांकि इसमें, मजबूती का कोई मायने नहीं रखता है। इसमें सुंदरता में मायने रखता है।
बच्चों को सुंदर दिखने के लिए अलग-अलग रंगों से रंग दिया जाता है। हालांकि इसमें कार्बन और सल्फर की ज्यादा मात्रा नहीं होती है। फिर भी अच्छी खासी इसकी मजबूती होती है।
आज के समय में तो अब तो टायर में हवा भी नहीं भरा जाता। वह अंदर से इतना ठोस रहता है कि हवा भरने का जरूरत ही नहीं पड़ता है। यानी कि काफी ठोस रहता है। अंदर से भरा हुआ रहता है रबड़ का ही होता है। जिसके कारण उसे हवा नहीं भरा जा सकता है और वही काफी दिनों तक चलता है।
पर अब नए नए खोजों का आविष्कार हो रहा है। नए-नए खोज हो रहे हैं जिसके कारण और भी नए-नए तरीके के टायर आने लगे हैं। हो सकता है भविष्य में और अलग तरीके के भी टायर आ सकते हैं जो कि लोगों का काम और आसान बना दे सकता है।
टायर में हवा भी नहीं भरा जाता। वह अंदर से इतना खुश रहता है कि हवा भरने का जरूरत ही नहीं पड़ता है। यानी कि काफी ठोस रहता है। अंदर से भरा हुआ रहता है। रबड़ का ही जिसके कारण उसे हवा नहीं भरा जा सकता है और वही काफी दिनों तक चलता है।
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