भगवान राम से जुड़े कुछ रोचक तथ्य जो शायद आप नहीं जानते।

भगवान राम से जुड़े कुछ रोचक तथ्य जो शायद आप नहीं जानते।


भगवान श्री राम मानव जाती के लिए आदर्श हैं जिसे सभी को अपने जीवन में उतरना चाहिए। उस टाइम भगवान राम को देवतायें भी नमन करने आते थे क्या युग होगा। जब ईश्वर साक्षात् मनुष्य रूप में जन्म ले जिसमे सभी शक्तियाँ समाहित हो, जो सभी इन्द्रियों को अपने बस में रखे, जिससे मिलने पर अनंत शांति मिले, पापों  का नाश हो जाये,  दुःख स्वतः दूर हो जाय, उसे देखो तो देखते ही रह जाएँ ऐसी मनमोहक रूप को जो जगत का कल्याण करने वाले से दर्शन कौन नहीं करना चाहेगा। जिनके तेज से चारो तरफ प्रकाश हो जाने वाले का मनुष्य के रूप में अवतार लेना कितना विचित्र है। ऐसा मनुष्य रूप जिसे कोई जीत नहीं सकता, जिसमे अनंत आकर्षण हो। जिनके दर्शन मात्र से ही सभी जन्मों का पाप नाश हो जाय और परम सुख को प्राप्त हो। ऐसे मनुष्य रुपी दिव्य आत्मा से कौन नहीं मिलना चाहेगा। जिसके याद करने से ही वर्तमान और भविष्य दोनों सुखमय हो जाय ऐसे प्रभु श्री राम को मेरा कोटि-कोटि प्रणाम। ऐसे मनुष्य रुपी परमात्मा को कौन नहीं आदर्श बनाना चाहेगा। 


आइए अब जानते हैं भगवान श्री राम के कुछ रोचक तथ्य 

भगवान् राम भगवान् विष्णु के दस अवतारों में सातवें अवतार थे।
भगवान राम को राम नाम रघु राजवंश के गुरु महर्षि वशिष्ठ ने दिया था।

भगवान राम का अवतार एक पूर्ण अवतार नहीं माना जाता है, क्योंकि उनको 14 कलाएं ही की जानकारी दी गयी थीं। और भगवान श्री कृष्ण सोलह की सोलह कलाओं में पारंगत थे। ऐसा जान बूझ कर किया गया था क्योंकि रावण को कई वरदान प्राप्त थे, लेकिन एक मनुष्य ही उसका वध कर सकता था। 
भगवान राम से सम्बन्धित मुखतः दो ग्रन्थ हैं – तुलसीदास द्वारा रचित और वाल्मीकि जी द्वारा रचित बाल्मीकि रामायण है पर दोनों ग्रंथों में ऐसी कई बाते हैं जो मेल नहीं खाती हैं।


जब भगवान राम के अवतार का प्रयोजन सिद्ध हो गया तब राम जी को किसी साधारण मनुष्य की तरह ही अपना शरीर त्यागना था।  लेकिन उनके परम भक्त हनुमान के होते यमराज के लिए राम जी तक पहुंचना संभव नहीं था। इसलिए राम जी ने जमीन में पड़ी एक दरार से अपनी अंगूठी गिरा दी और हनुमान से उसे लाने के लिए कहा हनुमान जी उसे खोजते-खोजते पाताल में नाग लोक पहुँच गए और वहां के राजा से राम जी की अंगूठी के बारे में पूछा तब राजा ने बताया कि भगवान राम जी ने ऐसा उनका ध्यान भटकाने के लिए किया था, ताकि यमराज राम जी को ले जा सकें हालांकि टीवी के धारावाहिक रामायण जो हमसब देखे हुए हैं उसमे भगवान राम सरयू नदी में जलसमाधि ले कर सशरीर ही स्वर्ग लोक प्रस्थान किये थे।

भगवान राम जी के छोट भाई लक्ष्मण, सीता मैया और भगवान् राम की रक्षा करने के लिए 14 वर्ष के वनवास में एक भी दिन नहीं सोये थे इसलिए उनका एक नाम गुडाकेश भी है उनके बदले लक्ष्मण की पत्नी सोती थी।

रावण मायावी राक्षस था उससे मुकाबला करने के लिए इंद्र देवता ने भगवान राम जी के लिए एक दिव्य रथ भेजा था वो मन की शक्ति से चलने वाला,अत्यधिक तेज गति से चलने वाला रथ था और भी अनेकों विशेषताएँ थी। उसी रथ में बैठ कर भगवान राम ने रावण को परास्त किया था।
वनवास जाते समय भगवान् राम की आयु 27 वर्ष की थी।

भगवान राम के वनवास में जाने के बाद अयोध्या का राजा भरत को बनाया जाना था पर भरत ने इस बात से इंकार कर दिए और वनवास गए बड़े भाई भगवान राम से उनके चरण पादुका (खड़ाऊ या आज जिसे लोग चप्पल कहते हैं) ले कर अयोध्या आये और राजगद्दी पर खड़ाऊं रख कर उसे राजा मान कर पूजा करते हुए  राज्य का कार्य करते रहे।

रामचरित मानस के अनुसार कि भगवान राम और रावण के बिच 32 दिनों तक युद्ध चला था जबकि दोनों सेनाओं के बीच 87 दिनों तक युद्ध हुआ था। 
कहा जाता है कि माता सीता ने बचपन में ही भगवान शिव का धनुष खेल-खेल में उठा लेती थीं या घर की साफ-सफाई में धनुष को उठा कर साफ सफाई किया करते थे। इसलिए राजा जनक ने उनके स्‍वयंवर के समय धनुष तोड़ने की शर्त रखी थी की जो इस शिव धनुष को तोड़ेगा वही सीता का वर होगा। जिसमे भगवान राम और लक्ष्मण भी मौजूद थे।

माना जाता है कि गिलहरी पर जो तीन धारियां होती हैं वह भगवान राम के आर्शीवाद के कारण हैं दरअसल, जब लंका पर आक्रमण करने के लिए रामसेतु बनाया जा रहा था तब एक गिलहरी भी इस काम में मदद कर रही थी ,गिलहरी दूसरे जगह से धूल कण अपने बालों में समेट कर राम सेतु पर छोड़ आती थी। उसके इस समर्पण भाव को देखकर श्रीराम ने प्रेमपूर्वक उसकी पीठ पर अपनी उँगलियाँ फेरी थीं और तभी से गिलहरी पर ये धारियां बन गयी।

रावण खुद को अजेय समझता था लेकिन एक बार राजा अनरण्य ने उसे शाप दिया कि उनके वंश से उत्पन्न युवक ही उसकी मृत्यु का का कारण बनेगा। भगवान श्री राम राजा अनरण्य के वंश में ही जन्मे थे।

भगवान राम चार भाई थे – राम, लक्षमण, भरत, शत्रुघ्न, और उनकी एक बड़ी बहन भी थीं जिनका नाम शांता था।

रामजी के धनुष का नाम कोदंड था।

भगवान् विष्णु के 1000  नामों में भगवान राम का नाम 394वां नम्बर पर आता है।

भगवान् विष्णु के अवतार परशुराम ये नहीं जानते थे कि श्री राम भी विष्णु-अवतार हैं। इसलिए उन्होंने राम जी को विष्णु जी के धनुष पे प्रत्यंचा चढाने को कहा, जिसे राम जी ने आसानी से चढ़ा दिया और परशुराम जी भी राम जी के असली स्वरुप को जान गए। जय श्री राम। 
सीता जी के स्वयंवर में भगवान राम जी ने शिव जी के जिस धनुष को तोड़ा था उसका नाम पिनाक था।
माता सीता के स्वयंवर में रावण भी मौजूद था पर उससे शिव धनुष नहीं टुटा था।

माता सीता के स्वयंवर में सभी राजा, महाराजा, योद्धाओं को आमंत्रित किया गया था। सब के कोशिश करने के बाद जब शिव धनुष नहीं टुटा तो माता सीता के पिता राजा जनक जी के मन में नकारात्मक विचार उत्पन होने लगे फिर लक्ष्मण जी चकित होते हुए बोले हुए भैया राम कहे तो मैं धनुष को टुकड़े टुकड़े कर दूँ तब भगवान राम लक्ष्मण को समझाते हुए बैठने को बोले फिर भगवान राम स्वयं अपने गुरु महर्षि विश्वामित्र के आशीवार्द ले कर शिव धनुष को तोड़ दिए।   

जिस जंगल में भगवान् राम, सीता माता और लक्षमण जी ने वनवास काटा था उस जंगल का नाम दंडकारण्य था।

भगवान राम को मानव के रूप से ही पूजा जाने लगा था ऐसा कहा जाता है की मानव के रूप में सबसे ज्यादा पूजे जाने वाले देवता हैं। भगवान राम का जन्म त्रेता युग में हुआ था।


भगवान राम का जन्म “इक्ष्वाकु” वंश में हुआ था जिसकी स्थापना भगवान सूर्य के पुत्र “राजा इक्ष्वाकु” ने की थीl इसी कारण भगवान राम को “सूर्यवंशी” भी कहा जाता हैl


भगवान राम को रघुकुल के राजा भी बोला जाता था, उनके वंशज में एक रघु राजा थे जो बहुत प्रतापी राजा थे जिनके नाम से उनके कुल(खानदान) रघुकुल कहा जाने लगा।   


महाभारत में बताया गया है कि भगवान शिव ने कहे थे कि भगवान राम का नाम तीन बार उच्चारण करने से हजारों देवताओं के नामों को बोलने के बराबर फल की प्राप्ति होती है। भगवान शिव खुद ध्यानावस्था में भगवान राम के नाम का ही उच्चारण करते रहते हैं। जय श्री राम

भगवान राम ने ग्यारह हजार वर्षों तक अयोध्या राज्य पर शासन किया थाl इस स्वर्णिम काल को “राम राज्य” के रूप में जाना जाता हैl
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Gautam kr. Suraj

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